Autobiography in hindi essay on my mother
मेरी माँ पर निबंध - Composition on My Mother in Hindi
मेरी माँ पर निबंध Class 1 and 2
मेरी माँ पर निबंध Class 3 and 4
मेरी माँ एक गृहणी है और सभी घरेलू कार्यों में काफी दक्ष है। वह खाना बनाने से लेकर घर की साफ-सफाई जैसे सारे कार्य करती है। इसके साथ ही मैं यह भी कह सकता हूं कि मेरी मां मेरी पहली शिक्षक भी है क्योंकि मैने मेरे जीवन में जोभी शुरुआती चीजें सीखीं है, वह मुझे मेरी माता ने ही सिखायी हैं।
मेरी माँ पर निबंध Class 5 and 6
हर व्यक्ति के जीवन में माँ सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति होती है। भगवान सबका ख्याल नहीं रख सकते इसलिए उन्होंने मां को बनाया। एक माँ अपने बच्चे के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और हमेशा अपने परिवार की बुनियादी जरूरतों को पूरा करती है। परिवार के लिए मां का बलिदान अतुलनीय है।
मां-बच्चे के रिश्ते की खूबसूरती यह है कि उसके प्यार और बलिदान की कोई सीमा नहीं है। माताएं एक शिक्षक और सबसे अच्छी दोस्त की तरह होती हैं जो हर परिस्थिति में अपने बच्चे और परिवार के साथ हमेशा खड़ी रहती हैं।
मेरी माँ घर में सब कुछ संभालती है और हमेशा मेरी और मेरे परिवार के अन्य सदस्यों की देखभाल के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करती है। कामकाजी महिला होने के बावजूद वह नियमित रूप से परिवार के लिए स्वादिष्ट व्यंजन बनाती हैं। जब भी मेरी तबीयत ठीक नहीं होती है तो वह जागती रहती है और परीक्षा के दौरान मुझे पढ़ाती है।
मेरे ख्याल से वो पूरी दुनिया की सबसे प्यारी मां हैं। वह मेरे पूरे परिवार की देखभाल करती है। वह मुझे नैतिक मूल्य और जीवन का सही मार्ग दिखाती है। मैं अपनी मां से बहुत प्यार करता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उन्हें हमेशा अच्छा स्वास्थ्य और खुशियां दें।
मेरी माँ पर निबंध Class 7 obtain 8
मेरी माँ पर निबंध Class 9, 10, 11 and 12
बच्चा अपने जन्म के बाद जब बोलना सीखता है तो सबसे पहले जो शब्द वह बोलता है वह होता है 'माँ'। स्त्री माँ के रूप में बच्चे की गुरु है। बच्चे के मुख से निकला हुआ यह एक शब्द मात्र शब्द नहीं उस माता द्वारा नौ महीने बच्चे को अपनी कोख में पालने व उसके बाद होने वाली प्रसव पीड़ा का।
माता को जो अनुभव होता है वही बालक के जीवन पर प्रभाव डालता है। माता से ही वह संस्कार ग्रहण करता है। माता के उच्चारण व उसकी भाषा से ही वह भाषा-ज्ञान प्राप्त करता है। यही भाषा-ज्ञान उसके संपूर्ण जीवन का आधार होता है।
इसी नींव पर बालक की शिक्षा-दीक्षा तथा संपूर्ण जीवन की योग्यता व ज्ञान का महल खड़ा होता है। माता का कर्तव्य केवल लालन-पालन व स्नेह दान तक ही सीमित नहीं है। बालक को जीवन में विकसित होने, उत्कर्ष की ओर बढ़ने के लिए भी माँ ही शक्ति प्रदान करती है। उसे सही प्रेरणा देती है।
समय-समय पर बाल्यकाल में माता द्वारा बालक को सुनाई गई कथा-कहानियाँ, उपदेश व दिया गया ज्ञान, बच्चे के जीवन पर अमिट छाप तो छोड़ता है। बचपन में दिया गया ज्ञान ही संपूर्ण जीवन उसका मार्गदर्शन करता है।
बच्चे के प्रति माता का यह स्नेह परमात्मा का प्रकाश है। मातृत्व को इस धरती पर देवत्व का रूप हासिल है। माता त्याग की प्रतिमूर्ति है। अपनी आवश्यकताओं, इच्छाओं, सुख-सुविधाओं तथा आकांक्षाओं का त्याग कर वह अपने परिवार को प्रधानता देती है। हमारी जन्मभूमि भी हमारी माँ है, जो सब कुछ देकर भी हमारी प्रगति से प्रसन्न होती है।